अंधेरों में अतीत तलाशते हुए
हाथ लगता है खालीपन
भूली बिसरी याद कभी भटकते हुए
टकरा जाये तो गिर पड़ती हूँ
कभी कोई खाब छूट कर हाथ से
गिर जाए तो चुभ जाते हैं निहित रिश्ते पाँव में
रिसता रहता है दर्द
बूँद बूँद टूट कर पलकों से
उदासियों के मौसम में !!
हाथ लगता है खालीपन
भूली बिसरी याद कभी भटकते हुए
टकरा जाये तो गिर पड़ती हूँ
कभी कोई खाब छूट कर हाथ से
गिर जाए तो चुभ जाते हैं निहित रिश्ते पाँव में
रिसता रहता है दर्द
बूँद बूँद टूट कर पलकों से
उदासियों के मौसम में !!