चाहतें थीं करीब आने की,
शर्त लेकिन थी भूल जाने की..
मिन्नतें, मिन्नतें रहीं लेकिन,
हसरतें खो गईं सुनाने की..
आप भी आप ही रहे लेकिन,
बात कोई तो हो पुराने की..
वक्त ज़ाया किया क्यों आने में,
इतनी जल्दी थी अगर जाने की..
अपनी आदत से बाज़ आ ही गए,
बड़ी आदत थी मुस्कुराने की..
टूट कर जैसे दिल बिखर जाये,
ऐसी आहट है उसके जाने की..
ना यकीं उसपे करना 'आब' उसे,
लग गई है हवा ज़माने की..!!
9 comments:
बहुत खूबसूरत गज़ल
आपकी रचना तेताला पर भी है ज़रा इधर भी नज़र घुमाइये
http://tetalaa.blogspot.com/
बहुत ही सुन्दर गज़ल।
ye bhi pyar ka ek roop hai ji....ise bhi jhelna padega...aur na jhel sako tab ise chhodna padega.
bahut khub....
very nice
Bahut umda ghazal hai!
"Minnate minnate rahi lekin,
Hasrate kho gayi sunaane ki
Waqt zaaya kiya kyun aane mein
Itni jaldi thi agar jaane ki"
- Bahut naye lage mujhe ye sher! :)
well said ........
dil ko chu gayi ........!
.
दिपाली जी
सादर अभिवादन !
ख़ूबसूरत ग़ज़ल है
वक़्त ज़ाया किया क्यों आने में
इतनी जल्दी अगर थी जाने की
बहुत समय बाद आना हुआ आपके यहां … कई पुरानी पोस्ट्स पढ़ी है आज । श्रेष्ठ सृजन हेतु आपके प्रयास सराहनीय हैं ।
मन से बधाई और मंगलकामनाएं हैं !
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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