June 6, 2011

ये शीशा ए दिल भी चटक कर गिरा है ..

अभी आँख के लाल डोरे भले ही
शिकायात सी करते है मेरी नज़र से
मुझे इल्म है तुम भी जान-ए-तमन्ना
यही सोचते हो येः मेरी खता है ।

जो मैंने येः गिरहें मोहब्बत है खोली
तो साया मेरे भी तो सर से उठा है
फ़क़त तुम ही तन्हा नहीं हो मेरी जाँ
येः शीशा -ए-दिल भी चटक कर गिरा है ।

मुझे बेवफा कहना चाहे तो कह ले
मैं तेरी सज़ा के भी काबिल नहीं हूँ
मोहब्बत है मुझको भी तुझ से बहुत पर
येः किस्सा अलग है मैं कहता नहीं हूँ ।

मैं दामन बचा कर के जा तो रहा हूँ
मगर मेरी आँखों में तुम ही रहोगे
है जब तक ज़मीं औ फलक येः सलामत
तुम एक याद बन कर के दिल में रहोगे ।

तुम्ही देखना वक़्त करवट जो लेगा
तो खुशियों से भर जायेगा तेरा दामन
तुम उस रोज़ मुझ पर यकीन कर सकोगे
मेरे फैसले को सही भी कहोगे ।

जो थामोगे तुम ज़िन्दगी की कलाई
तो हो जाएगी जीस्त रोशन तुम्हारी
तुम उस रोज़ मुझ पर हँसा भी करोगे
दीवाना था कह कर मेरा नाम लोगे ।

जो देखूंगा तुम को ख़ुशी से सजा मैं
तो दिल को मेरे भी सुकूं सा मिलेगा
नज़र न लगे तेरी खुशियों को जानाँ
मैं हर पल दुआ में खुदा से कहूँगा ।

येः होगा मेरी जाँ यकीं तो करो तुम
ये कुछ पल की तडपन गुजर जाने दो फिर
नया एक सवेरा उगेगा यकीनन
येः गम का अँधेरा छटेगा यकीनन ।

यकीनन तुम उस पल मेरा नाम लेके
ख़ुशी को सजा लोगे लब पे मेरी जाँ

मेरा क्या है मैं खाक का एक टुकड़ा
यूँही खाक में मिल भी जाऊं तो क्या है
तुम्हारी ख़ुशी के लिए आज इस पल
तुम्हारी नज़र से गिरुं भी तो क्या है ॥

'दीपाली'

12 comments:

Unknown said...

dam hai aapki dua me bhi aur eitmaad me bhi.....

achha laga

pallavi trivedi said...

जो मैंने येः गिरहें मोहब्बत है खोली
तो साया मेरे भी तो सर से उठा है
फ़क़त तुम ही तन्हा नहीं हो मेरी जाँ
येः शीशा -ए-दिल भी चटक कर गिरा है ।

kya baat hai... bahut din baad padh rahi hoon tumhe.ab follow kar rahi hoon.

Er. सत्यम शिवम said...

लाजवाब..बहुत सुंदर..दिल को छु गयी रचना।

Ravi Rajbhar said...

मेरा क्या है मैं खाक का एक टुकड़ा
यूँही खाक में मिल भी जाऊं तो क्या है
तुम्हारी ख़ुशी के लिए आज इस पल
तुम्हारी नज़र से गिरुं भी तो क्या है ॥

wah.....dil bhar aya har ek line padh kar...! aapki kalam me bahut takat hai.

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच

K said...

bhai wah

Anonymous said...

bhai wah

Anonymous said...

bhai wah

K said...

Bhai wah

manu said...

ये कुछ पल की तडपन गुजर जाने दो फिर
नया एक सवेरा उगेगा यकीनन
येः गम का अँधेरा छटेगा यकीनन ।

यकीनन तुम उस पल मेरा नाम लेके
ख़ुशी को सजा लोगे लब पे मेरी जाँ..

बहुत खूब लिखा है दीपाली...

तुम्हारी ख़ुशी के लिए आज इस पल
तुम्हारी नज़र से गिरुं भी तो क्या है ..

बहुत ही प्यारा अहसास ..
और नज़्म की रवानी.....हमेशा की तरह माशा अल्लाह...

manu said...

ये कुछ पल की तडपन गुजर जाने दो फिर
नया एक सवेरा उगेगा यकीनन
येः गम का अँधेरा छटेगा यकीनन ।

यकीनन तुम उस पल मेरा नाम लेके
ख़ुशी को सजा लोगे लब पे मेरी जाँ..

बहुत खूब लिखा है दीपाली...

तुम्हारी ख़ुशी के लिए आज इस पल
तुम्हारी नज़र से गिरुं भी तो क्या है ..

बहुत ही प्यारा अहसास ..
और नज़्म की रवानी.....हमेशा की तरह माशा अल्लाह...

Shaifali said...

Very lovely, No words can explain the beauty of your writing.