अभी आँख के लाल डोरे भले ही
शिकायात सी करते है मेरी नज़र से
मुझे इल्म है तुम भी जान-ए-तमन्ना
यही सोचते हो येः मेरी खता है ।
जो मैंने येः गिरहें मोहब्बत है खोली
तो साया मेरे भी तो सर से उठा है
फ़क़त तुम ही तन्हा नहीं हो मेरी जाँ
येः शीशा -ए-दिल भी चटक कर गिरा है ।
मुझे बेवफा कहना चाहे तो कह ले
मैं तेरी सज़ा के भी काबिल नहीं हूँ
मोहब्बत है मुझको भी तुझ से बहुत पर
येः किस्सा अलग है मैं कहता नहीं हूँ ।
मैं दामन बचा कर के जा तो रहा हूँ
मगर मेरी आँखों में तुम ही रहोगे
है जब तक ज़मीं औ फलक येः सलामत
तुम एक याद बन कर के दिल में रहोगे ।
तुम्ही देखना वक़्त करवट जो लेगा
तो खुशियों से भर जायेगा तेरा दामन
तुम उस रोज़ मुझ पर यकीन कर सकोगे
मेरे फैसले को सही भी कहोगे ।
जो थामोगे तुम ज़िन्दगी की कलाई
तो हो जाएगी जीस्त रोशन तुम्हारी
तुम उस रोज़ मुझ पर हँसा भी करोगे
दीवाना था कह कर मेरा नाम लोगे ।
जो देखूंगा तुम को ख़ुशी से सजा मैं
तो दिल को मेरे भी सुकूं सा मिलेगा
नज़र न लगे तेरी खुशियों को जानाँ
मैं हर पल दुआ में खुदा से कहूँगा ।
येः होगा मेरी जाँ यकीं तो करो तुम
ये कुछ पल की तडपन गुजर जाने दो फिर
नया एक सवेरा उगेगा यकीनन
येः गम का अँधेरा छटेगा यकीनन ।
यकीनन तुम उस पल मेरा नाम लेके
ख़ुशी को सजा लोगे लब पे मेरी जाँ
मेरा क्या है मैं खाक का एक टुकड़ा
यूँही खाक में मिल भी जाऊं तो क्या है
तुम्हारी ख़ुशी के लिए आज इस पल
तुम्हारी नज़र से गिरुं भी तो क्या है ॥
'दीपाली'
June 6, 2011
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12 comments:
dam hai aapki dua me bhi aur eitmaad me bhi.....
achha laga
जो मैंने येः गिरहें मोहब्बत है खोली
तो साया मेरे भी तो सर से उठा है
फ़क़त तुम ही तन्हा नहीं हो मेरी जाँ
येः शीशा -ए-दिल भी चटक कर गिरा है ।
kya baat hai... bahut din baad padh rahi hoon tumhe.ab follow kar rahi hoon.
लाजवाब..बहुत सुंदर..दिल को छु गयी रचना।
मेरा क्या है मैं खाक का एक टुकड़ा
यूँही खाक में मिल भी जाऊं तो क्या है
तुम्हारी ख़ुशी के लिए आज इस पल
तुम्हारी नज़र से गिरुं भी तो क्या है ॥
wah.....dil bhar aya har ek line padh kar...! aapki kalam me bahut takat hai.
आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच
bhai wah
bhai wah
bhai wah
Bhai wah
ये कुछ पल की तडपन गुजर जाने दो फिर
नया एक सवेरा उगेगा यकीनन
येः गम का अँधेरा छटेगा यकीनन ।
यकीनन तुम उस पल मेरा नाम लेके
ख़ुशी को सजा लोगे लब पे मेरी जाँ..
बहुत खूब लिखा है दीपाली...
तुम्हारी ख़ुशी के लिए आज इस पल
तुम्हारी नज़र से गिरुं भी तो क्या है ..
बहुत ही प्यारा अहसास ..
और नज़्म की रवानी.....हमेशा की तरह माशा अल्लाह...
ये कुछ पल की तडपन गुजर जाने दो फिर
नया एक सवेरा उगेगा यकीनन
येः गम का अँधेरा छटेगा यकीनन ।
यकीनन तुम उस पल मेरा नाम लेके
ख़ुशी को सजा लोगे लब पे मेरी जाँ..
बहुत खूब लिखा है दीपाली...
तुम्हारी ख़ुशी के लिए आज इस पल
तुम्हारी नज़र से गिरुं भी तो क्या है ..
बहुत ही प्यारा अहसास ..
और नज़्म की रवानी.....हमेशा की तरह माशा अल्लाह...
Very lovely, No words can explain the beauty of your writing.
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