March 29, 2012

उदासियों के मौसम में

अंधेरों में अतीत तलाशते हुए
हाथ लगता है खालीपन
भूली बिसरी याद कभी भटकते हुए
टकरा जाये तो गिर पड़ती हूँ
कभी कोई खाब छूट कर हाथ से
गिर जाए तो चुभ जाते हैं निहित रिश्ते पाँव में
रिसता रहता है दर्द
बूँद बूँद टूट कर पलकों से
उदासियों के मौसम में !!

9 comments:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

प्यारी रचना है....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत दिनों बाद कुछ पोस्ट किया है ....

गहन अनुभूति ...

प्रवीण पाण्डेय said...

उदासियों के मौसम में स्मृतियाँ बहुत सताती हैं।

Shekhar Suman said...

are itte dino baad... kahan gum thin aap...

दिपाली "आब" said...

@all : shukriya doston..

@shekhar.. bas bsy thi :)

Shaifali said...

Thanks to come back to your blog Deepali.

Loved these lines-
बूँद बूँद टूट कर पलकों से
उदासियों के मौसम में !!

ANULATA RAJ NAIR said...

bahut sundar.............
i'm touched!!!!

anu

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत बहुत प्यारी सी रचना....

अनु

Mahi S said...

Deep