अंधेरों में अतीत तलाशते हुए
हाथ लगता है खालीपन
भूली बिसरी याद कभी भटकते हुए
टकरा जाये तो गिर पड़ती हूँ
कभी कोई खाब छूट कर हाथ से
गिर जाए तो चुभ जाते हैं निहित रिश्ते पाँव में
रिसता रहता है दर्द
बूँद बूँद टूट कर पलकों से
उदासियों के मौसम में !!
हाथ लगता है खालीपन
भूली बिसरी याद कभी भटकते हुए
टकरा जाये तो गिर पड़ती हूँ
कभी कोई खाब छूट कर हाथ से
गिर जाए तो चुभ जाते हैं निहित रिश्ते पाँव में
रिसता रहता है दर्द
बूँद बूँद टूट कर पलकों से
उदासियों के मौसम में !!
9 comments:
प्यारी रचना है....
बहुत दिनों बाद कुछ पोस्ट किया है ....
गहन अनुभूति ...
उदासियों के मौसम में स्मृतियाँ बहुत सताती हैं।
are itte dino baad... kahan gum thin aap...
@all : shukriya doston..
@shekhar.. bas bsy thi :)
Thanks to come back to your blog Deepali.
Loved these lines-
बूँद बूँद टूट कर पलकों से
उदासियों के मौसम में !!
bahut sundar.............
i'm touched!!!!
anu
बहुत बहुत प्यारी सी रचना....
अनु
Deep
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